वैसे तो पीरागढ़ी दिल्ली में जूतों के उत्पादन के लिए मशहूर है। एक्शन, कैम्पस से लेकर छोटी बड़ी सैकड़ों जूतों की व गारमेंट की कम्पनियां हैं जो दिल्ली के खाते पीते वर्ग की ज़रूरतों को पूरा करती हैं। परन्तु इन फैक्टरियों में काम करने वाले लाखों मज़दूरों के साथ बर्बर किस्म का शोषण होता है। ‘आप’ कि राखी बिड़ला खुद मंगोल पूरी क्षेत्र से विधायक हैं पर इन्हे मज़दूरो के उत्पीड़न से कोई फर्क नहीं पड़ता है। 2011 में ही पीरागढ़ी की H-9 फैक्ट्री में सुरक्षा में लापरवाही की वजह से 70 से अधिक मज़दूर जल कर मर गए थे पर प्रशासन मालिक को बचाने में लगा रहा था। यह फिर से दोहराया न जाये इसीलिए उद्योग नगर मज़दूर यूनियन और मंगोलपूरी मज़दूर यूनियन ने मज़दूरों के बीच मज़दूर मांगपत्रक आंदोलन चलाया जिससे कि आने वाली 6 फरवरी को केजरीवाल की सरकार इस बात की गारंटी करे कि पीरागढ़ी के मज़दूर भी अपने हक़ हासिल करें।
उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में सघन प्रचार व संपर्क अभियान
बवाना, भोरगढ़, नरेला,मेट्रो विहार, होलम्बी कलां, शाहाबाद डेयरी, बादली, राजा विहार, सूरज पार्क,रोहिणी सेक्टर 26-27 आदि इलाकों में आम नागरिकों, गरीब मेहनतकशों-मज़दूरों को रोज़ समस्याओं का सामना करना पड़ता है और उन्हें बुनियादी सुविधाएँ और अपने क़ानूनी श्रम अधिकार तक नहीं मिलते। इस पूरे इलाके में गन्दे पानी की निकासी, शौचालयों की कमी और साफ-सफाई, पार्कों की खस्ता हालत, पानी की सप्लाई, कारख़ानों में मालिकों-ठेकेदारों की लूट और अंधेरगर्दी,सड़कों की ख़राब हालत, स्कूल और डिस्पेंसरी की कमी, महिलाओं से छेड़खानी, गरीबों तक से छीना-झपटी, मारपीट, पुलिस की मनमानी और उत्पीड़न जैसी समस्याएँ रोज़ की बात हैं।
माँगपत्रक आन्दोलन की ओर से दिल्ली के सभी मज़दूरों को इंक़लाबी ललकार!
पहली बार दिल्ली में किसी सरकार या मुख्यमन्त्री ने मज़दूरों से कुछ ठोस वायदे किये हैं। लेकिन ये सभी वायदे अपने आप पूरे नहीं हो जायेंगे। हम मज़दूरों को हमसे किये गये वायदों की याददिहानी करानी होगी। क्योंकि बिना जन-दबाव के शायद ही दिल्ली सरकार ये वायदे पूरे करे। सरकार ये वायदे पूरे करके हम पर कोई अहसान नहीं करेगी, क्योंकि ये तो दशकों पहले पूरे हो जाने चाहिए थे। अगर अब भी हम इन वायदों को पूरा करवाने के लिए एकजुट होकर सरकार पर दबाव नहीं बनाते तो फिर हमारी बदहाली, ग़रीबी और तंगहाली के लिए सिर्फ़ हम जि़म्मेदार होंगे! 6 फरवरी को दिल्ली के लाखों मज़दूर दिल्ली सचिवालय पर इकट्ठा हो रहे हैं। ‘दिल्ली मज़दूर यूनियन’ आह्वान करती है कि आप भी इस आन्दोलन में शामिल हों और इन वायदों पर केजरीवाल सरकार से अमल करवायें!
Workers intensify their campaign among workers-peasants, students-youths, employees and common citizens in and around Gorakhpur
The Joint Workers Rights Struggle Front has speeded up the campaign to gather mass support for exposing the industrialists-administration nexus and in favour of the demands of workers which was started two days ago through street meetings in the two industrial areas of Gorakhpur, offices and the main spots of the cities and door-to-door campaigning in the residential areas. The pamphlets distributed on large scale during the campaign say that whatever the workers have gone through in the past three weeks has thoroughly exposed the anti-worker face of the Gorakhpur administration and it has shown the true picture of the democracy in our country. Right from the May 3 firing incident, the workers have peacefully and patiently continued their ‘Satyagraha’ for their just demands but instead of justice they have only got canes, abuses and jail. The police and administration are blatantly serving the factory owners by keeping the law at bay. The criminals are roaming fearlessly and those who demand the implementation of the laws have been pushed behind bars. The Front has appealed to the workers-employees, students-youth, intellectuals and common citizens to help and cooperate with their struggle.
राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर पर गोरखपुर मजदूर आंदोलन के दमन की निंदा, मायावती के नाम ऑनलाइन अपील जारी की
गोरखपुर में 3 मई के गोलीकांड के दोषियों की गिरफ्तारी और अन्य मांगों को लेकर 16 मई से भूख हड़ताल पर बैठे मजदूर 20 मई को जिलाधिकारी कार्यालय ज्ञापन देने जा रहे थे तो पुलिस ने उन पर बर्बर लाठीचार्ज करके 73 मजदूरों को हिरासत में लिया था जिनमें से अधिकांश मजदूर देर रात छोड़ दिए गए थे लेकिन बीएचयू की छात्रा श्वेता, स्त्री मजदूर सुशीला देवी और अन्य 12 को गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस 20 तारीख को दिन में ही मजदूर नेता तपीश मैंदोला को किसी अन्य स्थान से उठा ले गई थी और अगले दिन कोर्ट में उनकी पेशी से पहले तक तपिश की गिरफ्तारी से इंकार करती रही। बाद में दोपहर को अचानक तपिश को मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर दिया गया। सभी मजदूर नेताओं पर पुलिस ने तीन-तीन फर्जी मुकदमे दायर किए हैं। जेल भेजे गए सभी 14 मजदूर नेताओं ने जेल में आमरण-अनशन शुरू कर दिया है। इनमें से श्वेता और सुशीला देवी पिछले 6 दिन से आमरण अनशन पर हैं जिसके कारण उनकी हालत लगातार बिगड़ रही है। इसके बावजूद उन्होंने जेल में भी आमरण अनशन शुरू कर दिया है। दो मुकदमों में दोनों को जमानत मिलने के बावजूद पुलिस द्वारा दायर किए गए तीसरे मुकदमे में उन्हें जमानत नहीं मिली थी।
14 मजदूर नेताओं ने जेल में आमरण अनशन जारी रखा
मजदूरों या उनके प्रतिनिधियों को सूचना दिए बिना ही निपटा ली गई एकतरफा वार्ता निकाले गए 18 मजदूरों को काम पर वापस रखने की मजदूरों की मुख्य मांग पर चर्चा तक नहीं हुई फैक्ट फाइंडिंग टीम की जांच पूरी, प्रथम दृष्टया प्रशासन की भूमिका को नकारात्मक बताया नई दिल्ली, 22…
गोरखपुर मज़दूर सत्याग्रह: आमरण अनशन के पाँचवे दिन तीन मज़दूरों की हालत बिगड़ी
दो कारखानों में तालाबंदी और 18 मज़दूरों के निष्कासन के विरोध में तथा मज़दूरों पर फायरिंग के दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग पर भूख हड़ताल के समर्थन में सैकड़ों मज़दूर धरने पर बैठे प्रशासन पूरी तरह मालिकान के पक्ष में – मांगों पर कोई बातचीत नहीं, भूख हड़तालियों को हटाने हरचंद…
Condition of three workers worsens on the fifth day of fast-unto-death on the gate of the locked-out factories
Gorakhpur, 20 May. The condition of three workers has worsened on the fifth day of fast-unto-death by workers in front of the gates of two factories of V.N. Dyers Ltd. in Bargadwa area as part of the second phase of ‘Mazdoor Satyagrah’ which was started on 16 May. However the workers are unyielding and are preparing to heat up the agitation.
गोरखपुर में तालाबंद कारखानों के गेट के सामने मज़दूरों ने आमरण अनशन शुरू किया
गोरखपुर में तालाबंद कारखानों के गेट के सामने मज़दूरों ने आमरण अनशन शुरू किया दो कारखानों में तालाबंदी और 18 मज़दूरों के निष्कासन के विरोध में तथा मज़दूरों पर फायरिंग के दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग पर भूख हड़ताल के समर्थन में सैकड़ों मज़दूर धरने पर बैठे मज़दूरों की…
Workers’ Begin Fast unto Death in Gorakhpur
The workers in Gorakhpur began the second phase of their ‘Workers Satyagraha’ today by launching a ‘fast-unto-death’ in front of the gates of the twin factories of VN Dyers Ltd. in Bargadwa area of the city. These two factories, one a textile mill and the other a yarn mill, have been illegally locked out since 10 April 2011 and 18 workers have been dismissed.
Workers’ Struggle Continues in Gorakhpur
दो कारखानों में अप्रैल से जारी तालाबंदी और 18 मज़दूरों के निष्कासन के विरोध में टाउन हाल पर क्रमिक अनशन जारी प्रशासन और मालिकान दबाव में लेकिन अड़ियल रवैया बरकरार ………………………….. गोरखपुर में 3 मई को हुए गोलीकांड और उसके बाद मज़दूरों के बर्बर दमन के बाद भारी जनदबाव और…
मज़दूरों के जुझारू संघर्ष और देशव्यापी जनदबाव से गोरखपुर में मजदूर आन्दोलन को मिली आंशिक जीत
अंकुर उद्योग से निकाले गए सभी 18 मज़दूर काम पर लिए गए, कारखाना कल से शुरू होगा गोलीकांड के मुख्य अभियुक्तों की गिरफ्तारी, घायल मजदूरों को सरकार से मुआवजा दिलाने, फर्जी मुकदमे हटाने तथा न्यायिक जांच की मांग को लेकर आंदोलन जारी रहेगा मांगें नहीं मानने पर शुरू हो जाएगा…
Firing and Repression on Factory Workers in Gorakhpur
The workers of Ankur Udyog Ltd., a factory in the Bargadwa industrial area in Gorakhpur, eastern UP were attacked by goons called by the factory owner the morning of 3 May. At least seven workers were seriously injured in firing by the goons. Apparently, the factory owners of Gorakhpur have been very angry with the workers for attending the May Day rally at Jantar Mantar, Delhi and one of them suspended 18 workers as soon as they went to resume work. The workers protested against this and the factory owner sent hired goons who fired on the workers injuring 19 of them. The workers had cornered the goons inside the factory but the police came and took them away and let them free. FIRs have been registered from both sides.