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मजदूरों या उनके प्रतिनिधियों को सूचना दिए बिना ही निपटा ली गई एकतरफा वार्ता

निकाले गए 18 मजदूरों को काम पर वापस रखने की मजदूरों की मुख्‍य मांग पर चर्चा तक नहीं हुई 

फैक्‍ट फाइंडिंग टीम की जांच पूरी, प्रथम दृष्‍टया प्रशासन की भूमिका को नकारात्‍मक बताया

नई दिल्‍ली, 22 मई। गोरखपुर मजदूर आंदोलन समर्थक नागरिक मोर्चा ने कल शाम वीएन डायर्स के मालिक विष्‍णु अजीत सरिया-श्रम विभाग-प्रशासन के बीच हुई वार्ता को अवैध एवं कानून विरोधी बताया है। मोर्चा ने कहा कि कल हुई इस एकतरफा वार्ता में मजदूरों के प्रतिनिधि शामिल नहीं थे। इससे स्‍पष्‍ट होता है कि गोरखपुर प्रशासन मालिकों के पक्ष में काम कर रहा है, क्‍योंकि मजदूरों या उनके प्रतिनिधियों को इस वार्ता की सूचना तक नहीं दी गई। मजदूरों के प्रतिनिधियों के बिना हुई यह वार्ता पूरी तरह अवैधानिक है और इसमें श्रमिकों की मुख्‍य मांग, अवैध रूप से निकाले गए 18 मजदूरों को काम पर वापस लेने, पर कोई चर्चा ही नहीं गई।

मोर्चा ने कहा कि मालिक और मजदूर मिलकर वार्ता कर सकते हैं लेकिन मालिक-श्रम विभाग-प्रशासन ने इस वार्ता से मजदूरों को बाहर रखकर खुद ही फैसला कर लिया कि मिल चालू की जाएगी। यही नहीं इस वार्ता में मालिक और प्रशासन से पूरी तरह गलतबयानी की है कि मजदूरों के कारण कारखानों में 30 अप्रैल से तालाबंदी है। सच्‍चाई यह है कि वीएन डायर्स के मालिकान ने 10 अप्रैल को ही कारखाने की बिजली कटवा दी थी और जबरन तालाबंदी कर दी थी। तभी से ताला खुलवाने के लिए मजदूरों की तरफ से लगातार प्रशासन तथा श्रम विभाग को ज्ञापन दिए जा रहे हैं। इसके बावजूद प्रशासन मालिकों के पक्ष में तथ्‍यों को तोड़-मरोड़ रहा है।

मोर्चा ने कहा कि यह एकतरफा फैसला किसी मजदूर को स्‍वीकार नहीं है। सभी मजदूर और संयुक्‍त मजदूर अधिकार संघर्ष मोर्चा चाहते हैं कि कारखाने चालू हों, लेकिन जब तक फैक्‍ट्री से निकाले गए 18 मजदूरों को काम पर नहीं रखा जाएगा तब तक एक भी मजदूर काम पर नहीं जाएगा। आज भी कार्यालय स्‍टाफ के एक-दो कर्मचारियों को छोड़कर कोई मजदूर फैक्‍ट्री में काम करने नहीं गया।

इस बीच जेल भेजे गए सभी 14 मजदूर नेताओं ने जेल में आमरण-अनशन शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि पिछले 6 दिन से श्‍वेता और सुशीला देवी भी आमरण अनशन पर थे जिसके कारण उनकी हालत बिगड़ गई थी। इसके बावजूद उन्‍होंने जेल में भी आमरण अनशन शुरू कर दिया है। कल दो मुकदमों में दोनों को जमानत मिलने के बावजूद पुलिस द्वारा दायर किए गए तीसरे मुकदमे में उन्‍हें जमानत नहीं मिली और 12 अन्‍य मजदूर नेताओं के साथ उन्‍हें जेल भेज दिया गया था। सभी मजदूर नेताओं पर विभिन्‍न धाराओं में तीन-तीन फर्जी मुकदमे दायर किए गए हैं।

इधर, मजदूरों ने बरगदवा के कारखाना गेटों और मजदूर बस्तियों में सभाओं और प्रचार का सिलसिला तेज कर दिया है। शहर के नागरिकों तथा छात्रों-युवाओं-कर्मचारियों को भी प्रशासन की अंधेरगर्दी तथा मजदूरों की जायज मांगों से अवगत कराने के लिए आज से शहर में पर्चे बांटने शुरू कर दिए गए। इस अभियान को विस्‍तार देते हुए,कल से व्‍यापक जनसंपर्क शुरू कर दिया जाएगा। मोर्चा ने मालिकों की शह पर पुलिस द्वारा मकान-मालिकों पर मजदूरों को मकान से निकालने का दबाव बनाने की भी कड़ी निंदा की।

दूसरी ओर, अंकुर उद्योग लिमिटेड में दिनांक 3 मई को हुए गोलीकांड की देशव्यापी चर्चा एवं मजदूर आंदोलन सेसंबंधित घटनाओं की विभिन्न स्रोतों से जानकारी मिलने के पश्चात 19 मई को गोरखपुर पहुंची मीडियाकर्मियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक तथ्य अन्वेषण (फैक्ट फाइंडिंग) टीम ने जांच पूरी कर ली है। अपने तीन दिनी प्रवास के दौरान यह टीम एसपी सिटी, कमिश्नर, डीएलसी, संबंधित पुलिस अधिकारियों, विभिन्नमजदूर नेताओं, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, जनवादी अधिकारकर्मियों, एवं अंकुर उद्योग लि. तथा वी.एन. डायर्स केमजदूरों से मिली एवं पूरे घटनाक्रम पर विस्तार से बातचीत की। टीम जांच पूरी कर ली है एवं संबंधित तथ्य तथा दस्तावेज एकत्रित कर लिए हैं। जांच दल के सदस्यों का प्रथम दृष्टतया यह मत बना है कि अंकुरउद्योग लि. में हुई घटना एवं इस क्षेत्र के मजदूर आंदोलन के संबंध में प्रशासन की भूमिका नकारात्मक एवं आंदोलन विरोधी रही है। फैक्ट फाइंडिंग टीम अगले कुछ दिनों में अपनी विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके प्रकाशित करेगी।

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