दो कारखानों में तालाबंदी और 18 मज़दूरों के निष्कासन के विरोध में तथा मज़दूरों पर फायरिंग के दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग पर भूख हड़ताल के समर्थन में सैकड़ों मज़दूर धरने पर बैठे
प्रशासन पूरी तरह मालिकान के पक्ष में – मांगों पर कोई बातचीत नहीं, भूख हड़तालियों को हटाने हरचंद कोशिशें जारी
पत्रकारों व सामाजिक कार्यकर्ताओं की जांच टीम गोरखपुर पहुंची
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गोरखपुर, 20 मई। गोरखपुर में 16 मई से शुरू हुए मज़दूर सत्याग्रह के दूसरे चरण के तहत बरगदवा इलाके में वी.एन. डायर्स लि. के दो कारखानों के गेट के सामने जारी ‘आमरण अनशन’ के पांचवे दिन तीन भूख हड़ताली मज़दूरों की हालत बिगड़ गई है लेकिन मज़दूर डटे हुए हैं और आंदोलन को गरमाने में जुट गए हैं।
3 मई के गोलीकांड के अभियुक्तों की गिरफ़्तारी, दोषी अफसरों पर कार्रवाई, गोलीकांड और दमन की घटनाओं की न्यायिक जांच, घायल मज़दूरों को मुआवज़ा तथा वी.एन. डायर्स के दो कारखानों में तालाबंदी खत्म कर सभी 18 निष्कासित मज़दूरों की बहाली की मांग पर 16 मई की सुबह से भूख हड़ताल शुरू की गई थी। एक मज़दूर की मां सुशीला देवी, तीन मज़दूर बिंदेश्वर राय, सुशील श्रीवास्तव और महेश पाठक तथा स्त्री कार्यकर्ता श्वेता भूख हड़ताल पर बैठे हैं जिनमें से सुशीला, श्वेता और महेश पाठक की हालत बिगड़ गई है। 18 मई की रात प्रशासन ने महेश पाठक को उठाकर जिला अस्पताल में भरती करा दिया था लेकिन उन्होंने वहां भी अनशन जारी रखा और 19 मई की सुबह फिर से आकर भूख हड़ताल में शामिल हो गए।
इलाके के कई कारखानों के सैकड़ों मज़दूर भी दिनो-रात धरनास्थल पर मौजूद रह रहे हैं। इस बीच प्रशासन पूरी तरह मालिकान के पक्ष में काम करते हुए लगातार धरना और भूख हड़ताल को खत्म कराने की कोशिशों में लगा है लेकिन मज़दूरों की मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पहले दिन दो दौर की असफल बातचीत हुई थी जिसमें मालिकान निष्कासित मज़दूरों को वापस नहीं लेने पर अड़े हुए थे। उसके बाद से प्रशासन ने वार्ता की कोई कोशिश नहीं की। कल रात भी पुलिस और प्रशासन के बड़े अफसरों की अगुवाई में पुलिस बल मज़दूरों को हटाने की तैयारी में था। इसकी भनक लगते ही धरने पर बड़ी संख्या में बैठे सभी मज़दूरों ने लंबी-लंबी रस्सियों से एक-दूसरे को बांध लिया। जब लगा कि भारी बल प्रयोग किए बिना मज़दूरों को हटाया नहीं जा सकता तो पुलिस वापस लौट गई।
गोरखपुर में 3 मई को हुए गोलीकांड और उसके बाद मज़दूरों के बर्बर दमन के बाद भारी जनदबाव और मज़दूरों के संकल्पबद्ध प्रतिरोध के कारण ज़िला प्रशासन और अंकुर उद्योग के मालिकान को झुकना पड़ा था और मज़दूरों को एक आंशिक जीत हासिल हुई था। मई दिवस की रैली में भाग लेने के कारण अंकुर उद्योग से निकाले गए 18 मज़दूरों को काम पर रख लिया गया था और कारखाना 11 मई से चालू हो गया। लेकिन वी.एन. डायर्स के मालिक तालाबंदी खुलवाने और 18 मज़दूरों की बहाली के मुद्दे पर अड़े हुए हैं।
मज़दूरों ने आंदोलन के पक्ष में जनसमर्थन जुटाने के लिए आज पूरे गोरखपुर शहर में साइकिल रैली निकाली। आंदोलन के समर्थन में गीडा औद्योगिक क्षेत्र के मज़दूरों ने भी कल अपने इलाके में जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया था। बरगदवा के विभिन्न कारखानों के मज़दूरों का एक बड़ा प्रदर्शन करने की तैयारी की जा रही है।
इस बीच पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक जांच टीम गोरखपुर में मज़दूरों पर हुई फायरिंग, दमन और श्रम कानूनों के उल्लंघन के आरोपों की जांच करने कल गोरखपुर पहुंची। जांच टीम के सदस्य कल बरगदवा में धरनास्थल पर भी गए और मज़दूरों से बातचीत की।
पिछले 2 सप्ताह से भी अधिक समय से जारी मज़दूरों के आंदोलन के प्रति प्रशासन के लगातार दमनात्मक रवैये और उत्तर प्रदेश सरकार की उपेक्षा की कड़ी निंदा फिर तेज़ हो गई है।
Citizen’s Front in Support of Gorakhpur Worker’s Movement
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