गोरखपुर में तालाबंद कारखानों के गेट के सामने मज़दूरों ने आमरण अनशन शुरू किया
दो कारखानों में तालाबंदी और 18 मज़दूरों के निष्कासन के विरोध में तथा मज़दूरों पर फायरिंग के दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग पर भूख हड़ताल के समर्थन में सैकड़ों मज़दूर धरने पर बैठे
मज़दूरों की मांगों के समर्थन में गोरखपुर में विभिन्न संगठनों का प्रदर्शन
गोरखपुर, 16 मई। गोरखपुर में मज़दूरों ने बरगदवा इलाके में वी.एन. डायर्स लि. के दो कारखानों के गेट के सामने ‘आमरण अनशन’ शुरू करने के साथ आज से ‘मज़दूर सत्याग्रह’ का दूसरा चरण शुरू कर दिया। इन दो कारखानों, एक कपड़ा मिल और एक धागा मिल, में पिछले 10 अप्रैल से अवैध तालाबंदी है और इसके 18 मज़दूरों को काम से निकाल दिया गया है।
बंद कारखानों के तीन मज़दूर, एक मज़दूर की मां और एक स्त्री कार्यकर्ता ने आज सुबह से भूख हड़ताल शुरू की। उनके साथ इलाके के कई कारखानों के सैकड़ों मज़दूर भी धरने पर बैठे। मज़दूरों ने अलग-अलग पालियां बांध ली हैं जिससे कि धरनास्थल पर दिनो-रात बड़ी संख्या में मज़दूर बने रहें। उन्होंने यह भी घोषणा की है कि अगर भूख हड़तालियों को गिरफ़्तार किया जाएगा तो वे जेल में भूख हड़ताल जारी रखेंगे और नई टोलियां उनकी जगह ले लेंगी।
प्रशासन और पुलिस ने धरना और भूख हड़ताल को रोकने की हरचन्द कोशिशें कीं। वे बार-बार प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार करने और लाठीचार्ज करने की धमकियां देते रहे लेकिन मज़दूरों के दृढ़ता से अपनी जगह जमे रहने पर आखिर उन्हें पीछे हटना पड़ा। मज़दूरों के विरोध और उनके आंदोलन को व्यापक समर्थन के दबाव में आज भी प्रशासन को झुकना पड़ा और आखिरकार प्रशासन ने मालिकान के साथ वार्ता शुरू कराई। मालिकों और मज़दूरों के प्रतिनिधियों के बीच दो दौर की वार्ता हुई लेकिन मालिकान 18 निकाले गए मज़दूरों को वापस लेने की मांग पर अड़ियल रवैया अपनाए हुए हैं। उन्होंने इस मांग को छोड़ने पर राज़ी करने के लिए अन्य मज़दूरों के सामने कई तरह के प्रलोभन भी रखे लेकिन मज़दूर इस बात पर दृढ़ हैं कि जब तक सभी 18 मज़दूर बहाल नहीं होंगे तब तक एक भी मज़दूर काम पर नहीं जाएगा।
मज़दूरों की कुछ मांगें मानी जाने के बाद 9 मई को मज़दूर सत्याग्रह तो स्थगित कर दिया गया था लेकिन टाउन हाल चौक पर क्रमिक अनशन जारी था। इसकी मांगों में गोलीकांड के अभियुक्तों की गिरफ़्तारी, दोषी अफसरों पर कार्रवाई, गोलीकांड और दमन की घटनाओं की न्यायिक जांच कराना, घायल मज़दूरों को मुआवज़ा तथा वी.एन. डायर्स में तालाबंदी खत्म कर सभी निष्कासित-निलंबित मज़दूरों की बहाली शामिल है।
गोरखपुर में 3 मई को हुए गोलीकांड और उसके बाद मज़दूरों के बर्बर दमन के बाद भारी जनदबाव और मज़दूरों के संकल्पबद्ध प्रतिरोध के कारण ज़िला प्रशासन और अंकुर उद्योग के मालिकान को झुकना पड़ा था और मज़दूरों को एक आंशिक जीत हासिल हुई था। मई दिवस की रैली में भाग लेने के कारण अंकुर उद्योग से निकाले गए 18 मज़दूरों को काम पर रख लिया गया था और कारखाना 11 मई से चालू हो गया। लेकिन वी.एन. डायर्स के मालिक तालाबंदी खुलवाने और 18 मज़दूरों की बहाली के मुद्दे पर अड़े हुए हैं। प्रशासन की ओर से भी इस विवाद के हल के लिए वार्ता कराने की कोई पहल नहीं की जा रही थी। उनका इरादा मज़दूरों को थकाकर आंदोलन को तोड़ने का है लेकिन मज़दूर भी लंबी लड़ाई के लिए कमर कसकर तैयार हैं।
गोरखपुर के विभिन्न जनवादी संगठनों और ट्रेड यूनियनों ने आज राज्य सरकार की मज़दूर-विरोधी गरीब-विरोधी नीतियों के विरोध में तथा आंदोलनरत मज़दूरों की मांगों के समर्थन में जिलाधिकारी कार्यालय पर ज़ोरदार संयुक्त प्रदर्शन किया। बरगदवा के कई कारखानों और गीडा औद्योगिक क्षेत्र के कई कारखानों के मज़दूर भी आंदोलन के समर्थन में रैलियां निकालने वाले हैं।
इस बीच देश भर से गोरखपुर में मज़दूरों के दमन की निंदा और उनके आंदोलन के समर्थन का सिलसिला जारी है।
Citizen’s Front in Support of Gorakhpur Worker’s Movement
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