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दो कारखानों में अप्रैल से जारी तालाबंदी और 18 मज़दूरों के निष्‍कासन के विरोध में
टाउन हाल पर क्रमिक अनशन जारी

प्रशासन और मालिकान दबाव में लेकिन अड़ि‍यल रवैया बरकरार

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गोरखपुर में 3 मई को हुए गोलीकांड और उसके बाद मज़दूरों के बर्बर दमन के बाद भारी जनदबाव और मज़दूरों के संकल्‍पबद्ध प्रतिरोध के कारण ज़ि‍ला प्रशासन और अंकुर उद्योग के मालिकान को झुकना पड़ा था और मज़दूरों को एक आंशिक जीत हासिल हुई था। मई दिवस की रैली में भाग लेने के कारण अंकुर उद्योग से निकाले गए 18 मज़दूरों को काम पर रख लिया गया है और कारखाना 11 मई से चालू हो गया है। लेकिन बरगदवा इलाके में ही वी.एन. डायर्स के दो कारखानों में अप्रैल से चली आ रही अवैध तालाबंदी खुलवाने और 18 मज़दूरों की बहाली के मुद्दे पर मालिक अब भी अड़े हुए हैं। प्रशासन की ओर से भी इस विवाद के हल के लिए वार्ता कराने की कोई पहल अब तक नहीं हुई है। स्‍पष्‍ट है कि वे मज़दूरों को थकाकर आंदोलन को तोड़ना चाहते हैं। लेकिन मज़दूर भी लंबी लड़ाई के लिए कमर कसे हुए हैं। पिछले दो वर्षों के दौरान बरगदवा के मज़दूरों में पैदा हुई एकजुटता की भावना का ही असर है कि 9 मई से ही टाउनहाल पर जारी क्रमिक अनशन में वी.एन. डायर्स के अलावा अन्‍य कारखानों के मज़दूर भी आकर भागीदारी कर रहे हैं।
मज़दूरों की कुछ मांगें मानी जाने के बाद 9 मई को मज़दूर सत्‍याग्रह तो स्‍थगित कर दिया गया था लेकिन  क्रमिक अनशन तभी से जारी है। इसकी मांगों में गोलीकांड के अभियुक्‍तों की गिरफ़्तारी, दोषी अफसरों पर कार्रवाई, गोलीकांड और दमन की घटनाओं की न्‍यायिक जांच कराना, घायल मज़दूरों को मुआवज़ा तथा वी.एन. डायर्स में तालाबंदी खत्‍म कर सभी निष्‍कासित-निलंबित मज़दूरों की बहाली शामिल है। दो दिन, पुलिस ने अनशन पर बैठे क्रमश: 5 और 12 मज़दूरों को गिरफ़्तार भी कर लिया लेकिन मज़दूरों के विरोध के बाद उन्‍हें रिहा करना पड़ा।

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