गोरखपुर के मज़दूरों के नाम मुंबई के गोलीबार निवासियों का संदेश

गोलीबार बस्‍ती के आंदोलन की एक नेता प्रेरणा गायकवाड़ ने गोरखपुर के मज़दूरों के नाम अपने संदेश में कहा है, ”हम तो अपनी लड़ाई जीत गए हैं, अब आपको अपनी लड़ाई जारी रखनी है। आप लड़ाई जारी रखें हम आपके साथ हैं।”

गोरखपुर मज़दूर आन्दोलन के दमन के विरोध में कोलकाता में सैकड़ों मज़दूरों का प्रदर्शन

गोरखपुर में मज़दूरों के दमन और उत्तर प्रदेश सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में कोलकाता में सैकड़ों मज़दूरों ने प्रदर्शन किया तथा राज्यपाल के माध्यम से मुख्यमंत्री मायावती को ज्ञापन भेजा। श्रमिक संग्राम समिति के बैनर तले कोलकाता इलेक्ट्रिक सप्लाई कारपोरेशन, हिन्दुस्तान इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज लि., भारत बैटरी, कोलकाता जूट मिल, सूरा जूट मिल, अमेरिकन रेफ्रिजरेटर्स कं. सहित विभिन्न कारखानों के 500 से अधिक मज़दूरों ने कल कोलकाता के प्रशासकीय केंद्र एस्प्लेनेड में विरोध प्रदर्शन किया। दिल्ली, पंजाब तथा महाराष्ट्र में भी कुछ संगठन इस मुद्दे को लेकर प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।

12 मज़दूर नेता ज़मानत पर रिहा, आन्दोलन और तेज करने का ऐलान

गोरखपुर, 26 मई। पिछले 20 मई को गिरफ्तार किए गए 12 मज़दूर नेता आज ज़मानत पर रिहा कर दिए गए। रिहा होने के बाद संयुक्त मज़दूर अधिकार संघर्ष मोर्चा के तपीश मैन्दोला ने कहा कि मज़दूरों की मांगों को लेकर आन्दोलन अब और तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मालिकान की शह पर प्रशासन डरा-धमकाकर और लाठी-गोली-जेल के सहारे मज़दूर आन्दोलन को कुचलने की कोशिश कर रहा है लेकिन वह कामयाब नहीं होगा। मज़दूर अपने मूलभूत अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं और वे अब पीछे नहीं हटेंगे। तपीश ने कहा कि वी.एन. डायर्स में जबरन तालाबन्दी करके और अंकुर उद्योग में मज़दूरों पर गोलियां चलवाकर मालिकों ने यह लड़ाई मज़दूरों पर थोपी है। मगर प्रशासन मालिकों के सुर में सुर मिलाकर उल्टा हमें ही अराजक और विकास-विरोधी बता रहा है।

मायावती सरकार के मज़दूर विरोधी रवैये की देशभर में कड़ी निन्‍दा

संयुक्त मजदूर अधिकार संघर्ष मोर्चा ने पिछले दो दिनों से गोरखपुर के दोनों औद्योगिक क्षेत्रों, कार्यालयों और शहर के प्रमुख स्थानों पर नुक्कड़ सभाओं तथा रिहायशी इलाकों में जनसम्पर्क के जरिए उद्योगपतियों तथा प्रशासन की मिलीभगत का भंडाफोड़ करने और मजदूरों की मांगों के पक्ष में जनसमर्थन जुटाने का अभियान और तेज कर दिया है। अभियान के दौरान बड़े पैमाने पर बांटे गए पर्चे में कहा गया है कि पिछले तीन सप्ताह से हम मज़दूरों के साथ जो कुछ हो रहा है उसने गोरखपुर के प्रशासन का मज़दूर-विरोधी चेहरा एकदम नंगा कर दिया है और देश के लोकतंत्र की असली तस्वीर भी हमारे सामने उजागर कर दी है। पिछली तीन मई को मज़दूरों पर गोलियाँ बरसाये जाने के बाद से ही मज़दूर अपने हक और इंसाफ की माँग के लिए धीरज और शान्ति के साथ सत्याग्रह कर रहे हैं, लेकिन न्याय के बजाय उन्हें मिली हैं गालियाँ, लाठियाँ और जेल। पुलिस-प्रशासन सारे कानूनों को जूते की नोक पर रखकर उनकी सेवा में लगा हुआ है। अपराधी सीना ताने घूम रहे हैं और कानून लागू करने की माँग करने वाले जेल में ठूँस दिये गये हैं। मोर्चा ने मजदूरों-कर्मचारियों, छात्रों-नौजवानों, बुध्दिजीवियों तथा आम नागरिकों से सहयोग की अपील की है।

राष्‍ट्रीय-अंतराष्‍ट्रीय स्‍तर पर गोरखपुर मजदूर आंदोलन के दमन की निंदा, मायावती के नाम ऑनलाइन अपील जारी की

गोरखपुर में 3 मई के गोलीकांड के दोषियों की गिरफ्तारी और अन्‍य मांगों को लेकर 16 मई से भूख हड़ताल पर बैठे मजदूर 20 मई को जिलाधिकारी कार्यालय ज्ञापन देने जा रहे थे तो पुलिस ने उन पर बर्बर लाठीचार्ज करके 73 मजदूरों को हिरासत में लिया था जिनमें से अधिकांश मजदूर देर रात छोड़ दिए गए थे लेकिन बीएचयू की छात्रा श्‍वेता, स्‍त्री मजदूर सुशीला देवी और अन्‍य 12 को गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस 20 तारीख को दिन में ही मजदूर नेता तपीश मैंदोला को किसी अन्‍य स्‍थान से उठा ले गई थी और अगले दिन कोर्ट में उनकी पेशी से पहले तक तपिश की गिरफ्तारी से इंकार करती रही। बाद में दोपहर को अचानक तपिश को मजिस्‍ट्रेट के सामने पेश कर दिया गया। सभी मजदूर नेताओं पर पुलिस ने तीन-तीन फर्जी मुकदमे दायर किए हैं। जेल भेजे गए सभी 14 मजदूर नेताओं ने जेल में आमरण-अनशन शुरू कर दिया है। इनमें से श्‍वेता और सुशीला देवी पिछले 6 दिन से आमरण अनशन पर हैं जिसके कारण उनकी हालत लगातार बिगड़ रही है। इसके बावजूद उन्‍होंने जेल में भी आमरण अनशन शुरू कर दिया है। दो मुकदमों में दोनों को जमानत मिलने के बावजूद पुलिस द्वारा दायर किए गए तीसरे मुकदमे में उन्‍हें जमानत नहीं मिली थी।

14 मजदूर नेताओं ने जेल में आमरण अनशन जारी रखा

मजदूरों या उनके प्रतिनिधियों को सूचना दिए बिना ही निपटा ली गई एकतरफा वार्ता निकाले गए 18 मजदूरों को काम पर वापस रखने की मजदूरों की मुख्‍य मांग पर चर्चा तक नहीं हुई  फैक्‍ट फाइंडिंग टीम की जांच पूरी, प्रथम दृष्‍टया प्रशासन की भूमिका को नकारात्‍मक बताया नई दिल्‍ली, 22…

गोरखपुर गोलीकांड : फर्जी आरोप में 12 मजदूर नेताओं को जेल भेजा

21 मई। आज गोरखपुर की पुलिस और प्रशासन ने मालिकपरस्‍त अंधेरगर्दी की नई मिसाल कायम कर दी। लेकिन पुलिसिया दमन के बावजूद मजदूर अपना सत्‍याग्रह विभिन्‍न रूपों में जारी रखे रहे। 3 मई के गोलीकांड के दोषियों की गिरफ्तारी और अन्‍य मांगों को लेकर 16 मई से भूख हड़ताल पर बैठे मजदूर कल, 20 मई को, जिलाधिकारी कार्यालय ज्ञापन देने जा रहे थे तो पुलिस ने उन पर बर्बर लाठीचार्ज करके 73 मजदूरों को हिरासत में लिया था जिनमें से अधिकांश मजदूर देर रात छोड़ दिए गए थे लेकिन बीएचयू की छात्रा श्‍वेता, स्‍त्री मजदूर सुशीला देवी और अन्‍य 12 को गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस कल दिन में ही मजदूर नेता तपीश मैंदोला को किसी अन्‍य स्‍थान से उठा ले गई थी और आज सुबह तक तपिश की गिरफ्तारी से इंकार करती रही। बाद में दोपहर को अचानक तपीश को अदालत में पेश कर दिया गया। सभी मजदूर नेताओं पर पुलिस ने धारा 309 के तहत आत्‍महत्‍या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया है। यह अपने आपमें हास्‍यास्‍पद है क्‍योंकि इनमें से अधिकांश तो अनशन पर बैठै ही नहीं थे। श्‍वेता तथा सुशीला देवी, जिनका स्‍वास्‍थ्‍य पांच दिन की भूख हड़ताल के बाद बिगड़ रहा था, उन्‍हें जमानत पर रिहा कर दिया गया है। बाकी 12 मजदूरों को जेल भेज दिया गया है। मजदूर नेताओं ने जेल में ही आमरण अनशन शुरू कर दिया है।

गोरखपुर में मजदूरों पर लाठीचार्ज, 25 बुरी तरह घायल, मजदूर नेता सहित 73 मजदूर गिरफ्तार

पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए मजदूर नेता तपीश का कहीं अता-पता नहीं प्रशासन पूरी तरह मालिकान के पक्ष में-मांगों पर कोई बातचीत नहीं, भूख हड़तालियों को हटाने और आंदोलन के दमन पर तुला प्रशासन पत्रकारों व सामाजिक कार्यकर्ताओं की जांच टीम गोरखपुर पहुंची गोरखपुर, 20 मई। गोरखपुर में 16 मई से शुरू हुए…