मजदूरों ने अपने आन्दोलन को व्यापक बनाने के लिए गोरखपुर एवं आसपास के क्षेत्रों में मजदूरों-किसानों, छात्रों-नौजवानों, कर्मचारियों तथा आम नागरिकों के बीच प्रचार अभियान तेज किया
फर्जी मामलों में 20 मई से गिरफ्तार 12 मजदूर नेताओं को आज भी जमानत नहीं
गोरखपुर, 25 मई। गोरखपुर में मजदूर आन्दोलन के दमन तथा अवैध तालाबन्दी के मसले पर जिला प्रशासन के अड़ियल रवैये तथा मायावती सरकार के उपेक्षापूर्ण रुख के विरोध में मजदूरों ने अपने आन्दोलन को व्यापक बनाने के लिए गोरखपुर एवं आसपास के क्षेत्रों में मजदूरों-किसानों, छात्रों-नौजवानों, कर्मचारियों तथा आम नागरिकों के बीच प्रचार अभियान तेज कर दिया है। दूसरी ओर, लगभग एक माह से जारी इस आन्दोलन के निरन्तर दमन तथा दोषियों के विरुध्द कोई कार्रवाई न होने की देशव्यापी निन्दा अब मायावती सरकार को भी अपनी लपेट में लेने लगी है।
आगामी 27 मई को कोलकाता में ‘श्रमिक इश्तेहार‘ तथा विभिन्न मजदूर संगठन, लेखक एवं बुध्दिजीवी मिलकर मायावती सरकार के मजदूर विरोधी रवैये के खिलाफ प्रदर्शन कर राज्यपाल के माध्यम से उत्तार प्रदेश की मुख्यमंत्री को निन्दा प्रस्ताव एवं ज्ञापन भेजने की तैयारी कर रहे हैं। श्री सुभाशीष ने आज बताया कि इस प्रदर्शन में प्रदेश में बढ़ती तानाशाही तथा मजदूरों के दमन के सवाल को जोरदार तरीके से उठाया जाएगा। आंध्र प्रदेश तथा मुंबई में भी कुछ संगठन विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।
इस बीच पिछली 20 मई को गिरफ्तार तपीश मैन्दोला सहित 12 मजदूर नेताओं को आज भी जमानत नहीं मिल पायी। ज्ञातव्य है कि पुलिस ने विभिन्न जमानती एवं गैर-जमनाती धाराओं में सभी मजदूर नेताओं पर तीन-तीन मुकदमे कायम किए हैं। दो महिला कार्यकर्ताओं श्वेता तथा सुशीला देवी को जमानत मिलने के बाद कल देर रात जेल से रिहा कर दिया गया था। रिहा होने के बाद आज जारी एक बयान में श्वेता ने पुलिस पर गिरफ्तार मजदूर नेताओं के साथ दुर्व्यवहार करने और लगातार डराने-धमाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पुलिस के कुछ अधिकारी मालिकों की ओर से मजदूरों को ”देख लेने” और उनके नेताओं को ”ठिकाने लगाने” की धमकियां दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर मजदूर नेताओं को किसी भी प्रकार का नुकसान पहुंचता है तो इसके लिए प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार होगा।
इसी बीच मुंबई की वरिष्ठ अधिवक्ता एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता कामायनी बली महाबल तथा अन्य न्यायविदों की पहल पर गोरखपुर गोलीकांड के संबंध में मुख्यमंत्री मायावती के नाम भेजी जा रही याचिका पर सामाजिक कर्मियों, वकीलों, नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं,लेखकों तथा ट्रेड यूनियनकर्मियों द्वारा हस्ताक्षर अभियान जारी है। कल से आज तक शहीदेआजम भगतसिंह के भांजे प्रो. जगमोहन सिंह,मेजर जनरल (अव.) एस.जी. वोंबेतकर, मुंबई में मानवाधिकार मामलों की वकील गायत्री सिंह, आईआईटी खड़गपुर के सुकुमार चक्रवर्ती,कोलकाता विश्वविद्यालय के डा. देवब्रत दत्ताा, दिल्ली विश्वविद्यालय के डा. ईश मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार सुभाष गाताडे, लोकसुरभि, मुंबई के संपादक वेदप्रकाश सिंह, न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव के बनजीत हुसैन, आयरलैंड की कैरोल मर्फी, आस्ट्रेलिया के ज्याफ गेस्ट, नीदरलैंड में भारतीयों के संगठन के मिलन मंडल, अमेरिका की डा. लिज़ा क्लार्क, डा. जे. सिल, अभिनेता अवतार गिल सहित बड़ी संख्या में लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं।
इसके अलावा पंजाब में चंडीगढ़, लुधियाना, जालंधर, मंडी गोविंदगढ़ एवं पटियाला में कई मजदूर संगठनों तथा छात्र-युवा कार्यकर्ताओं ने हस्ताक्षर अभियान चलाकर उत्तार प्रदेश की मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल के नाम ज्ञापन भेजे हैं। जयपुर में लोक अधिकार संगठन की ओर से अनेक बुध्दिजीवियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में गिरफ्तार मजदूर नेताओं को तत्काल रिहा करने एवं मजदूरों की मांगें मानने की अपील की गई है।
संयुक्त मजदूर अधिकार संघर्ष मोर्चा ने पिछले दो दिनों से गोरखपुर के दोनों औद्योगिक क्षेत्रों, कार्यालयों और शहर के प्रमुख स्थानों पर नुक्कड़ सभाओं तथा रिहायशी इलाकों में जनसम्पर्क के जरिए उद्योगपतियों तथा प्रशासन की मिलीभगत का भंडाफोड़ करने और मजदूरों की मांगों के पक्ष में जनसमर्थन जुटाने का अभियान और तेज कर दिया है। अभियान के दौरान बड़े पैमाने पर बांटे गए पर्चे में कहा गया है कि पिछले तीन सप्ताह से हम मज़दूरों के साथ जो कुछ हो रहा है उसने गोरखपुर के प्रशासन का मज़दूर-विरोधी चेहरा एकदम नंगा कर दिया है और देश के लोकतंत्र की असली तस्वीर भी हमारे सामने उजागर कर दी है। पिछली तीन मई को मज़दूरों पर गोलियाँ बरसाये जाने के बाद से ही मज़दूर अपने हक और इंसाफ की माँग के लिए धीरज और शान्ति के साथ सत्याग्रह कर रहे हैं, लेकिन न्याय के बजाय उन्हें मिली हैं गालियाँ, लाठियाँ और जेल। पुलिस-प्रशासन सारे कानूनों को जूते की नोक पर रखकर उनकी सेवा में लगा हुआ है। अपराधी सीना ताने घूम रहे हैं और कानून लागू करने की माँग करने वाले जेल में ठूँस दिये गये हैं। मोर्चा ने मजदूरों-कर्मचारियों, छात्रों-नौजवानों, बुध्दिजीवियों तथा आम नागरिकों से सहयोग की अपील की है।
गोरखपुर मजदूर आन्दोलन समर्थक नागरिक मोर्चा
संपर्क : 9936650658 (कात्यायनी), 9910462009 (सत्यम), 8447011935 (संदीप)
ईमेल : satyamvarma@gmail.com / sandeep.samwad@gmail.com
कृपया इस ऑनलाइन याचिका पर हस्ताक्षर करके मजदूरों के दमन का विरोध करें : http://bit.ly/kvIuIq
वेबसाइट: www.workerscharter.in
फेसबुक पर: http://on.fb.me/ke5kI9