उत्‍तर-पश्चिमी दिल्ली में सघन प्रचार व संपर्क अभियान

बवाना, भोरगढ़, नरेला,मेट्रो विहार, होलम्बी कलां, शाहाबाद डेयरी, बादली, राजा विहार, सूरज पार्क,रोहिणी सेक्टर 26-27 आदि इलाकों में आम नागरिकों, गरीब मेहनतकशों-मज़दूरों को रोज़ समस्याओं का सामना करना पड़ता है और उन्हें बुनियादी सुविधाएँ और अपने क़ानूनी श्रम अधिकार तक नहीं मिलते। इस पूरे इलाके में गन्दे पानी की निकासी, शौचालयों की कमी और साफ-सफाई, पार्कों की खस्ता हालत, पानी की सप्लाई, कारख़ानों में मालिकों-ठेकेदारों की लूट और अंधेरगर्दी,सड़कों की ख़राब हालत, स्कूल और डिस्पेंसरी की कमी, महिलाओं से छेड़खानी, गरीबों तक से छीना-झपटी, मारपीट, पुलिस की मनमानी और उत्पीड़न जैसी समस्याएँ रोज़ की बात हैं।

मुस्तफाबाद में मज़दूर मांगपत्रक अभियान

दिल्ली मज़दूर यूनियन और करावल नगर मज़दूर यूनियन ने मुस्तफाबाद में अभियान चलाया। मुस्तफाबाद के घर घर में खुले हुए वर्क शॉपों या दुकानो में हजारो मज़दूरो के लिए श्रम कानून सुनने में अनजाना लगता है। सचिवालय से निकले फैसले इन गलियों को दिल्ली में ढूंढ नहीं पाते हैं। केजरीवाल के मंत्रालय ने मेट्रो मज़दूरो से 13 जनवरी को वायदा किया कि वो दिल्ली में ठेकाकरण ख़त्म करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि मज़दूरो को उनके हक़ मिले। इस हक़ को सुनिश्चित करने के लिए मुस्तफाबाद,खजूरी और करावल नगर के मज़दूर भी अपनी समस्यायों को लेकर 6 फरवरी को केजरीवाल के दफ्तर, दिल्ली सचिवालय चलेंगे।

करावलनगर, खजूरी में मांगपत्रक आंदोलन का आगाज़

करावलनगर, खजूरी में मांगपत्रक आंदोलन का आगाज़  9 और 10 जनवरी को मांगपत्रक आंदोलन करावलनगर और खजूरी के मज़दूरों के बीच  करावलनगर मज़दूर यूनियन और दिल्ली मज़दूर यूनियन के नेतृत्व में चलाया गया। करावल नगर और खजूरी में  लाखों की तादाद में मज़दूर रहते हैं लेकिन यह दिल्ली के वे…

माँगपत्रक आन्दोलन की ओर से दिल्ली के सभी मज़दूरों को इंक़लाबी ललकार!

पहली बार दिल्ली में किसी सरकार या मुख्यमन्त्री ने मज़दूरों से कुछ ठोस वायदे किये हैं। लेकिन ये सभी वायदे अपने आप पूरे नहीं हो जायेंगे। हम मज़दूरों को हमसे किये गये वायदों की याददिहानी करानी होगी। क्योंकि बिना जन-दबाव के शायद ही दिल्ली सरकार ये वायदे पूरे करे। सरकार ये वायदे पूरे करके हम पर कोई अहसान नहीं करेगी, क्योंकि ये तो दशकों पहले पूरे हो जाने चाहिए थे। अगर अब भी हम इन वायदों को पूरा करवाने के लिए एकजुट होकर सरकार पर दबाव नहीं बनाते तो फिर हमारी बदहाली, ग़रीबी और तंगहाली के लिए सिर्फ़ हम जि़म्मेदार होंगे! 6 फरवरी को दिल्ली के लाखों मज़दूर दिल्ली सचिवालय पर इकट्ठा हो रहे हैं। ‘दिल्ली मज़दूर यूनियन’ आह्वान करती है कि आप भी इस आन्दोलन में शामिल हों और इन वायदों पर केजरीवाल सरकार से अमल करवायें!

हज़ारों मज़दूरों ने दी संसद के दरवाज़े पर पहली दस्तक

दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों, पंजाब, गोरखपुर और छत्तीसगढ़ से आये इन हज़ारों मज़दूरों में भारी संख्या छोटे-बड़े कारख़ानों में काम करने वाले असंगठित मज़दूरों की थी। बड़ी संख्या में स्त्री मज़दूर भी दिल्ली और बाहर से आयी थीं। बाहर से आये मज़दूरों की टोलियाँ सुबह से ही लाल झण्डों और नारों की तख्तियों के साथ रेलवे तथा बस स्टेशनों से जुलूस की शक्ल में जन्तर-मन्तर पहुँचने लगी थीं और देर शाम सभा खत्म होने के बाद रात तक मज़दूरों की टोलियाँ जन्तर-मन्तर की सड़क पर जगह-जगह बैठकें कर आगे के कार्यक्रम पर चर्चा करती रहीं और मज़दूरों के जाने का सिलसिला रात 9 बजे के बाद तक चलता रहा। सुबह से देर रात तक जन्तर-मन्तर के इलाक़े में मज़दूरों के नारों, गीतों और मज़दूर अधिकारों की बातों की गूँज फैली रही। ‘अब चलो नई शुरुआत करो! मज़दूर मुक्ति की बात करो!!’ ‘मेहनतकश जन जागो, अपना हक़ लड़कर माँगो!’ ‘अन्धकार का युग बीतेगा! जो लड़ेगा, वो जीतेगा!!’ ‘मेहनतकश जब भी जागा, इतिहास ने करवट बदली है!’ ‘मज़दूर माँगपत्रक आन्दोलन का नारा! लड़कर लेंगे अपना हक़ सारा!’ जैसे नारे दूर-दूर तक सुनायी देते रहे।

गोरखपुर के मज़दूरों के नाम मुंबई के गोलीबार निवासियों का संदेश

गोलीबार बस्‍ती के आंदोलन की एक नेता प्रेरणा गायकवाड़ ने गोरखपुर के मज़दूरों के नाम अपने संदेश में कहा है, ”हम तो अपनी लड़ाई जीत गए हैं, अब आपको अपनी लड़ाई जारी रखनी है। आप लड़ाई जारी रखें हम आपके साथ हैं।”

मायावती सरकार के मज़दूर विरोधी रवैये की देशभर में कड़ी निन्‍दा

संयुक्त मजदूर अधिकार संघर्ष मोर्चा ने पिछले दो दिनों से गोरखपुर के दोनों औद्योगिक क्षेत्रों, कार्यालयों और शहर के प्रमुख स्थानों पर नुक्कड़ सभाओं तथा रिहायशी इलाकों में जनसम्पर्क के जरिए उद्योगपतियों तथा प्रशासन की मिलीभगत का भंडाफोड़ करने और मजदूरों की मांगों के पक्ष में जनसमर्थन जुटाने का अभियान और तेज कर दिया है। अभियान के दौरान बड़े पैमाने पर बांटे गए पर्चे में कहा गया है कि पिछले तीन सप्ताह से हम मज़दूरों के साथ जो कुछ हो रहा है उसने गोरखपुर के प्रशासन का मज़दूर-विरोधी चेहरा एकदम नंगा कर दिया है और देश के लोकतंत्र की असली तस्वीर भी हमारे सामने उजागर कर दी है। पिछली तीन मई को मज़दूरों पर गोलियाँ बरसाये जाने के बाद से ही मज़दूर अपने हक और इंसाफ की माँग के लिए धीरज और शान्ति के साथ सत्याग्रह कर रहे हैं, लेकिन न्याय के बजाय उन्हें मिली हैं गालियाँ, लाठियाँ और जेल। पुलिस-प्रशासन सारे कानूनों को जूते की नोक पर रखकर उनकी सेवा में लगा हुआ है। अपराधी सीना ताने घूम रहे हैं और कानून लागू करने की माँग करने वाले जेल में ठूँस दिये गये हैं। मोर्चा ने मजदूरों-कर्मचारियों, छात्रों-नौजवानों, बुध्दिजीवियों तथा आम नागरिकों से सहयोग की अपील की है।

राष्‍ट्रीय-अंतराष्‍ट्रीय स्‍तर पर गोरखपुर मजदूर आंदोलन के दमन की निंदा, मायावती के नाम ऑनलाइन अपील जारी की

गोरखपुर में 3 मई के गोलीकांड के दोषियों की गिरफ्तारी और अन्‍य मांगों को लेकर 16 मई से भूख हड़ताल पर बैठे मजदूर 20 मई को जिलाधिकारी कार्यालय ज्ञापन देने जा रहे थे तो पुलिस ने उन पर बर्बर लाठीचार्ज करके 73 मजदूरों को हिरासत में लिया था जिनमें से अधिकांश मजदूर देर रात छोड़ दिए गए थे लेकिन बीएचयू की छात्रा श्‍वेता, स्‍त्री मजदूर सुशीला देवी और अन्‍य 12 को गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस 20 तारीख को दिन में ही मजदूर नेता तपीश मैंदोला को किसी अन्‍य स्‍थान से उठा ले गई थी और अगले दिन कोर्ट में उनकी पेशी से पहले तक तपिश की गिरफ्तारी से इंकार करती रही। बाद में दोपहर को अचानक तपिश को मजिस्‍ट्रेट के सामने पेश कर दिया गया। सभी मजदूर नेताओं पर पुलिस ने तीन-तीन फर्जी मुकदमे दायर किए हैं। जेल भेजे गए सभी 14 मजदूर नेताओं ने जेल में आमरण-अनशन शुरू कर दिया है। इनमें से श्‍वेता और सुशीला देवी पिछले 6 दिन से आमरण अनशन पर हैं जिसके कारण उनकी हालत लगातार बिगड़ रही है। इसके बावजूद उन्‍होंने जेल में भी आमरण अनशन शुरू कर दिया है। दो मुकदमों में दोनों को जमानत मिलने के बावजूद पुलिस द्वारा दायर किए गए तीसरे मुकदमे में उन्‍हें जमानत नहीं मिली थी।

गोरखपुर गोलीकांड : फर्जी आरोप में 12 मजदूर नेताओं को जेल भेजा

21 मई। आज गोरखपुर की पुलिस और प्रशासन ने मालिकपरस्‍त अंधेरगर्दी की नई मिसाल कायम कर दी। लेकिन पुलिसिया दमन के बावजूद मजदूर अपना सत्‍याग्रह विभिन्‍न रूपों में जारी रखे रहे। 3 मई के गोलीकांड के दोषियों की गिरफ्तारी और अन्‍य मांगों को लेकर 16 मई से भूख हड़ताल पर बैठे मजदूर कल, 20 मई को, जिलाधिकारी कार्यालय ज्ञापन देने जा रहे थे तो पुलिस ने उन पर बर्बर लाठीचार्ज करके 73 मजदूरों को हिरासत में लिया था जिनमें से अधिकांश मजदूर देर रात छोड़ दिए गए थे लेकिन बीएचयू की छात्रा श्‍वेता, स्‍त्री मजदूर सुशीला देवी और अन्‍य 12 को गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस कल दिन में ही मजदूर नेता तपीश मैंदोला को किसी अन्‍य स्‍थान से उठा ले गई थी और आज सुबह तक तपिश की गिरफ्तारी से इंकार करती रही। बाद में दोपहर को अचानक तपीश को अदालत में पेश कर दिया गया। सभी मजदूर नेताओं पर पुलिस ने धारा 309 के तहत आत्‍महत्‍या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया है। यह अपने आपमें हास्‍यास्‍पद है क्‍योंकि इनमें से अधिकांश तो अनशन पर बैठै ही नहीं थे। श्‍वेता तथा सुशीला देवी, जिनका स्‍वास्‍थ्‍य पांच दिन की भूख हड़ताल के बाद बिगड़ रहा था, उन्‍हें जमानत पर रिहा कर दिया गया है। बाकी 12 मजदूरों को जेल भेज दिया गया है। मजदूर नेताओं ने जेल में ही आमरण अनशन शुरू कर दिया है।

Workers lathi charged in Gorakhpur, 25 workers badly injured, 73 workers arrested

The Workers’ Satyagraha which started in Gorakhpur from May 16 was dealt with lathi charge today by a heavy police force in the presence of the DIG. Police arrested 73 workers and one of their leaders Tapish Maindola but there is still no official word about their arrest. Tapish has been arrested on the basis of a concocted FIR lodged by factory owner Ashok Jalan in relation to the incident of firing by his hired goons in which 19 workers were injured

Brutal repression of workers in Gorakhpur

A new black chapter was added in the history of brutal repression of workers in Uttar Pradesh as the police action unleashed by the district administration to crush the peaceful ‘Mazdoor Satyagrah’ beginning from today to demand justice for the 3 May incident on firing on workers resembled action by the colonial police.

As soon as the workers assembled in the FCI ground near the Bargadwa industrial area to proceed towards the divisional commissioner’s office for the Mazdoor Satyagrah announced four days prior, they were charged with canes and water cannons by the police and PAC and their leader Prashant was arrested. Despite repeated attacks the workers kept on trying to reach the collectorate peacefully but throughout the day the police resorted to beatings and chased wherever they saw 10-12 workers together. Even workers going by public transport were stopped and beaten or threatened.

Demonstration held against Gorakhpur firing at the UP Bhavan (Delhi) on 5th May 2011

Several activists and intellectuals of various organisations participated in a demostration today at the UP Bhavan here against the incident of firing by the hired goons of a factory owner and submitted a memorandum with the Chief Minister Ms. Mayawati demanding action against the culprits.Speakers addressing the demonstrators informed that due to the anti-worker and highly autocratic attitude of the UP Government the workers have been suffering relentless oppression from the administrative and police officers in the state. The Gorakhpur district administration is specially notorious for being under the complete command of BJP MP Yogi Adityanath.