होलंबी कलां रेलवे स्टेशन पर दस्तक दी दिल्ली मांगपत्रक आन्दोलन ने
दिल्ली, 20 जनवरी। बाहरी दिल्ली के होलंबी कला में लाखों की संख्या में मज़दूर आबादी रहती है। लेकिन इनकी समस्याएं किसी समाचारपत्र-मीडिया चैनल, चुनावी पार्टी के बयानों का हिस्सा नहीं बनती। उत्तर-पश्चिमी दिल्ली मज़दूर यूनियन और स्त्री मज़दूर संगठन ने दिल्ली के मांगपत्रक आंदोलन के तहत आज इसी आबादी के बीच अभियान चलाकर उन्हें उनके अधिकारों के बारे में बताया। उन्हें बताया गया कि केजरीवाल ने मुख्यमंत्री बनने से पहले मजदूरों के कच्चे मकानों को पक्का कराने और ठेकाप्रथा खत्म करने तथा अन्य श्रम कानून लागू कराने जैसे वायदे किए थे। इसलिए हम 6 फरवरी को दिल्ली सचिवालय पर हजारों की तादाद में पहुंच कर उन्हें उनके चुनावपूर्व वायदे याद दिलाएंगे और उन्हें जल्द पूरा करने का दबाव बनाएंगे।
आज जब होलंबी कला का रेलवे स्टेशन कोहरे से ढका हुआ था और सैकड़ो मज़दूर वहां आ-जा रहे थे, उसी समय उत्तर-पश्चिमी दिल्ली मज़दूर यूनियन और स्त्री मज़दूर संगठन के कार्यकर्ताओं ने वहां पहुंच कर जोरदार नारे लगाने शुरू किए। देखते ही देखते स्त्री-पुरुष मजदूरों ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया। फिर यूनियन के साथियों ने वहां भाषण देकर उन्हें दिल्ली मांगपत्रक अभियान के बारे में बताया और 6 फरवरी को दिल्ली सचिवालय पर दस्तक देने का आह्वान करने वाले पर्चे बांटे और उनके नाम-पते नोट किए व समस्याएं सुनीं।
यूनियन के साथियों ने कहा कि पहली बार दिल्ली में किसी सरकार या मुख्यमन्त्री ने मज़दूरों से कुछ ठोस वायदे किये हैं। लेकिन ये सभी वायदे अपने आप पूरे नहीं हो जायेंगे। हम मज़दूरों को हमसे किये गये वायदों की याददिहानी करानी होगी। बिना जन-दबाव के शायद ही दिल्ली सरकार ये वायदे पूरे करे। अगर अब भी हम इन वायदों को पूरा करवाने के लिए एकजुट होकर सरकार पर दबाव नहीं बनाते तो फिर हमारी बदहाली, ग़रीबी और तंगहाली के लिए सिर्फ़ हम जि़म्मेदार होंगे।