6 मार्च को दिल्ली के दिल में उतरी मजदूर वर्ग की एकजुट ताकत की महा रैली!

दिल्ली के हज़ारो मज़दूर 6  मार्च को अपने हक़ और अधिकारों को हासिल करने के लिए सड़कों पर उतरे। मोदी सरकार के ‘अच्छे दिनों’ की पोल आज आम जनता के सामने खुल चुकी है और साथ ही केजरीवाल सरकार द्वारा दिल्ली के मज़दूरों से किये वादों की असलियत भी जग ज़ाहिर है।‘दिल्ली मज़दूर यूनियन’ के बैनर तले 6  मार्च को दिल्ली के हजारों मज़दूरों ने केन्द्र की मोदी सरकार और दिल्ली की केजरीवाल सरकार के समक्ष अपनी माँगों को लेकर नई दिल्ली के जन्तर-मन्तर पर विशाल प्रदर्शन किया फिर यहीं मज़दूरों की महापंचायत आयोजित की गई। इस मज़दूर पंचायत के बाद मोदी और केजरीवाल का पुतला दहन भी किया गया।

6 मार्च – ‘दिल्ली मज़दूर महापंचायत’ में हज़ारों-हज़ार की संख्या में शामिल हो!!

दो सालों में दिल्ली की मज़दूर और ग़रीब आबादी को दो शब्दों ने बहुत बेवकूफ बनाया है-‘अच्छे दिन’ और ‘आम आदमी’! ‘अच्छे दिनों’ और ‘आम आदमी’ का मंत्र जपने वाले देश के प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने इन दो सालों में दिल्ली के मेहनतकशों के साथ ऐसा बर्ताव किया है जैसा सड़क चलते बटमार और उठाईगीरे भी नहीं करते। ये दोनों ही सरकारें आम मेहनतकशों के हक़-अधिकार एक-एक करके छीन रही हैं। साथ ही लोगों को उल्लू बनाने के लिए आपस में झगड़े की नौटंकी भी खूब कर रही हैं। लेकिन, सच तो यह है कि मोदी और केजरीवाल एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।फर्क बस इतना है कि जो काम मोदी पूँजीपतियों और कॉरपोरेट घरानों के लिए डंके की चोट पर करता है वही काम केजरीवाल थोड़ा छुप-छुपाकर करता है। लेकिन, हम मज़दूरों के प्रति इनके रवैये में कोई फर्क नहीं है।